Jaldi Pani Nikalne Ki Samasya Ko Dur Kare
जल्दी पानी निकलने की समस्या को दूर करें
शीघ्रपतन किसे कहते हैं?
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शीघ्रपतन उस अवस्था को कहते हैं, जिसमें सम्भोग के समय इन्द्री, योनि में प्रवेश करने से पूर्व या प्रवेश करते ही वीर्यपात यानी स्खलन हो जाता है। लिंग की कठोरता समाप्त हो जाती है और स्त्री की इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती, जिससे पुरूष को शर्मिन्दगी का एहसास होने लगता है। स्त्री उसे घृणा की दृष्टि से देखती है। सम्भोग अधूरा रह जाता है। यहीं से दाम्पत्य जीवन में तनाव आ जाता है और रिश्तों में दरारें पड़ने की संभावना भी बनी रहती है। यदि ऐसा बार-बार होता है तो स्त्री के मन पर इसका बहुत बुरा असर होता है और कितनी स्त्रियां गलत रास्ते पर भी चल पड़ती हैं।
सम्भोग में कम-से-कम 2-3 मिनट का समय तो लगना ही चाहिए अथवा इतना समय लगना चाहिए, जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हो जायें यानी पुरूष भी स्खलित हो जाये और स्त्री को भी परमसुख प्राप्त हो जाये।
लक्षण-
1. योनि में लिंग प्रवेश करते ही या प्रवेश करने के पूर्व ही वीर्यपात हो जाना।
2. प्राक् क्रीड़ा के दौरान ही वीर्यपात हो जाना।
3. सम्भोग प्रारम्भ करते ही 3-5 घर्षण के बाद ही वीर्य का निकल जाना।
4. स्त्री को पूर्ण संतुष्टी न दे पाना।
5. स्त्री का अतृप्त रह जाना।
6. स्त्री को सम्भोग के दौरान 50 प्रतिशत से कम उत्तेजना दे पाना।
7. वीर्यपात के बाद लिंग का शिथिल हो जाना।
8. सम्भोग से पूर्ण आनंद प्राप्त न होना।
9. सम्भोग में 1-2 मिनट से भी कम समय लगना।
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कारण-
1. भय, असुरक्षा: जब व्यक्ति किसी ऐसे स्थान पर सेक्स करता है, जहां किसी के देखने का भय हो अथवा किसी परायी स्त्री या अविवाहित युवती से सम्भोग करे और उसके मन में किसी के देख लेने या पकड़े जाने का भय हो, तो ‘अर्ली डिस्चार्ज’ हो जाता है।
2. असफलता का भय: यदि सम्भोग के पूर्व ही पुरूष यह सोच ले कि वह असफल हो जायेगा और उसे ‘अर्ली डिस्चार्ज’ हो जायेगा, तो उसके मन में घर कर बैठा यह भय उसे असफलता की ओर ले जायेगा। अंग्रेजी में एक कहावत है- “Fear of failure leads to failure.”
3. उतावलापन: यदि सम्भोग के समय पुरूष बहुत अधिक उतावला हो गया हो, कामातुर हो गया हो, जातीय आवेग बढ़ गया हो। जैसे भूखा मनुष्य भोजन देखकर टूट पड़ता है, वैसे टूट पड़ा हो तो ‘अर्ली डिस्चार्ज’हो जाता है।
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4. लंबा अंतराल: जब बहुत दिनों के बाद सम्भोग का अवसर प्राप्त होता है तो शीघ्रपतन हो जाता है। जब पति परदेश मेें रहता है और कई महीनों के बाद अपनी पत्नी से मिलता है तो प्रथम सहवास में तुरन्त वीर्यपात हो जाता है।
5. तनाव व थकान: अतिशय शारीरिक-मानसिक थकान, चिंता, तनाव आदि के कारण भी तुरन्त वीर्यपात हो जाता है।
6. अत्यधिक हस्तमैथुन: अत्यधिक हस्तमैथुन, सम्भोग की अधिकता, अत्यधिक स्वप्नदोष आदि कारणों से भी तुरन्त वीर्यपात हो जाता है।
7. इन्द्री की संज्ञा उत्तेजना बढ़ी होने पर जल्दी वीर्यपतन हो जाता है और उसके बाद लिंग शिथिल हो जाता है।
8. स्नायु दुर्बलता के कारण भी जल्दी वीर्यपतन हो जाता है।
9. नापसंद स्त्री के साथ सम्भोग करने पर जल्दी वीर्यपतन हो जाता है।
10. अत्यधिक सम्भोग व हस्तमैथुन से हरारत, भड़की हुई उत्तेजना, वीर्य की अधिकता, खुश्की, हृदय, मस्तिष्क तथा मांसपेशियां की कमजोरी आदि कारणों से भी यह रोग हो जाता है।
11. शिश्न की शिराओं की कमजोरी, आतशक, सुजाक आदि रोगों के दुष्परिणाम से भी यह रोग होते हुए देखा गया है।
12. योनि की तंगी, गर्मी या खुश्की आदि के कारण भी यह रोग हो जाता है।
13. आनंददायक तिलाओं के अत्यधिक प्रयोग के कारण भी कभी-कभी यह रोग होते हुए देखा गया है।
14. यौन भ्रान्तियां, भय, आत्मविश्वास का अभाव, लज्जा, संकोच भी इस रोग के कारण हैं।
15. जो लोग अत्यधिक कामुक होते हैं, हमेशा कामुक मनन व चिंतन करते रहते हैं, उन्हें अक्सर यह समस्या हो जाती है।
16. जिन कारणों से निंद्रा अवस्था में स्वप्नदोष होता है, उन्हीं कारणों से जागृत अवस्था में सम्भोग करते समय यह रोग हो जाता है।
परिणाम – इस रोग की समस्या, वैवाहिक जीवन की खुशियों का गला घोंट देती है और नपुंसकता की ओर ले जाती है। शुरू-शुरू में सम्भोग करने पर, फिर प्रारम्भ करते समय और उसके बाद प्रारम्भ करने के पहले ही वीर्यपात होने लगता है और अंत में तो एक दिन ऐसा समय आता है कि केवल चिंतन मात्र से बिना लिंगोत्थान के ही वीर्यपात हो जाता है और सही समय पर लिंग में कठोरता भी नहीं आती है। इस प्रकार धीरे-धीरे यह रोग, नपुंसकता में बदल जाता है।
घरेलू व आयुर्वेदिक उपचार
1. 5 ग्राम अश्वगंधा पाउडर लेकर उसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं और गुनगुने दूध के साथ सुबह-शाम लें। कुछ समय तक लगातार सेवन करने से रोग में लाभ होगा।
2. 4-4 ग्राम मूसली पाउडर सुबह-शाम खाने के बाद दूध से लेने वीर्य गाढ़ा होता है, जिससे रोग में फायदा पहुंचता है।
3. जामुन की गुठली का पाउडर शीघ्र स्खलन में बहुत लाभदायक होता है। इसे 3-3 ग्राम मात्रा में कुछ दिन लगातार लेने से लाभ पहुंचता है।
4. विशेषतौर पर शिलाजीत का सेवन सर्दियों में किया जाता है। इसके लिए माचिस की तीली बिना मसाले वाली ओर से डुबोकर जितना आये उतना शिलाजीत सुबह-शाम दूध में मिलाकर लें। गर्मियों में कम मात्रा में इसका सेवन करें।
5. आयुर्वेद की बहुत-सी औषधियां शीघ्र स्खलन में काम ली जाती है जैसे- मकरध्वज, कामिनी विद्रावण रस, अश्वगंधा चूर्ण, जाती फलादि चूर्ण, चंदनादि चूर्ण, चन्दनासव। यह सभी आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की देखरेख में ही ली जानी चाहिए।
6. अक्सर देखा गया है कि शीघ्र स्खलन के रोगी के मन में बहुत-सी भ्रम और भ्रांतियाँ होती हैं। उन्हें काउंसलिंग के जरिए ही दूर किया जा सकता है और रोगी के मन में घर कर बैठा डर और चिंता काउंसलिंग के जरिए से दूर की जा सकती है।
7. कंडोम का प्रयोग – लिंग की संवेदनशीलता कम करने के लिए पुरुष Climax Control कंडोम का प्रयोग कर सकते हैं। इनमे numbing agents, जैसे कि benzocaine or lidocaine लगा होता है और इनकी मोटाई भी अधिक होती है, जिससे स्खलन के समय को बढ़ाने में मदद मिलती है।
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