Shighrapatan Ke Gharelu Upay
शीघ्रपतन के घरेलू उपाय
Shighrapatan, Shighrapatan Ki Dawa, Shighrapatan Ki Medicine
अपनी पत्नी या अपनी महिला मित्र अथवा पार्टनर के साथ संभोग-क्रीड़ा के दौरान पुरूष द्वारा अति शीघ्र स्खलित हो जाने को ही शीघ्रपतन कहते हैं। सरल भाषा में कहा जाये तो, पत्नी या स्त्री को बिना संतुष्ट किए पुरूष का वीर्यपात हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है।
मुख्य कारण-
पुरूषों द्वारा वीर्य को अधिक देर तक स्खलित होने से रोकने की क्षमता न होने के यूं तो अनेक कारण हो सकते हैं। लेकिन जो मुख्य कारण हैं वो इस प्रकार हैं, जैसे- अति हस्तमैथुन, अधिक मैथुन करना, पांचन तंत्र के विकार, अत्यधिक शराब का सेवन, अफीम, भांग, बाॅडी में पोषक तत्वों की कमी होना, बहुत ज्यादा नाईट फाॅल होना, नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करना आदि।
मुख्य लक्षण-
शीघ्रपतन का मारा व्यक्ति सेक्स के दौरान बहुत जल्दी स्खलित हो जाता है। यदि समय रहते इसकी चिकित्सा ना की जाये, तो आहिस्ता-आहिस्ता स्थिति और भी बद्तर हो जाती है, जिस कारण रोगी संभोग से भी पहले, फिर केवल आंलिगन करने से और आखिर में किसी सुंदर नारी या लड़की की कल्पना मात्र से ही स्खलित हो जाता है। धारण क्षमता नष्ट हो जाती है।
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शीघ्रपतन के लिए घरेलु नुस्खे-
1. पीपल(अश्वत्थ) वृक्ष के फल, मूल, छाल तथा कोपलों आदि पीसकर दूध में अच्छी प्रकार उबाल कर शुष्म-शुष्म प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
2. छोटी माई का चूर्ण 2 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से तुरन्त वीर्यपतन की समस्या दूर हो जाती है।
3. पिण्ड खजूर 5 नग प्रतिदिन खाकर मिश्री मिला शुष्म दूध 250 मि.ली. पीने से शीघ्र वीर्यपात में लाभ होता है।
4. बरगद के दूध की 20 से 30 बूंद प्रति मात्रा प्रतिदिन सवेरे खाली पेट बताशे में डालकर सेवन करने से शीघ्र वीर्यपात की समस्या दूर हो जाती है।
Shighrapatan Ke Gharelu Upay
5. गोंद कतीरा चूर्ण 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन रात को सोते समय पानी में भीगो दें। सवेरे मिश्री मिलाकर पी लिया करें।
6. सिरिस के पुष्पों का रस 10 से 20 मि.ली. प्रतिदिन सुबह-शाम मिश्री मिले दूध में मिलाकर लें, लाभ होगा।
7. असगंध नागौरी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम मिश्री मिले दूध 250 मि.ली. के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आशातीत लाभ होता है।
8. समुद्र शोष के बीज 3 से 6 ग्राम प्रति मात्रा जल में डालकर, लुआबदार हो जाने पर मिश्री के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पियें। शीघ्रस्खलन में लाभप्रद है।
9. बबूल की फलियों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम समभाग मिश्री के साथ सेवन करने से इस रोग में में लाभ होता है।
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