Shighrapatan Ka Jad Se Ilaj
शीघ्रपतन हो जाये सवाल ही नहीं होता!
शीघ्रपतन (Premature Ejaculation)
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शीघ्रपतन जैसे कि नाम से ही प्रतीत होता है शीघ्र यानी जल्दी और पतन यानी नष्ट होना, समाप्त होना, गिरने का भाव। अब इसे शाब्दिक अर्थ में कहा जाये तो शीघ्रपतन का अर्थ हुआ जल्दी गिर जाना। ऐसे ही संभोग के दौरान जब पुरूष अपनी महिला साथी को बिना संतुष्ट किए कुछ ही क्षणों में स्खलित हो जाता है यानी उसका जल्दी वीर्यपात हो जाता है तो इस स्थिति को शीघ्रपतन कहते हैं। शीघ्रपतन की समस्या में पुरूष न तो पूर्ण रूप से आनंद दे पाता है और न ही स्वयं आनंदित हो पाता है, क्योंकि पुरूष या तो फोरप्ले के दौरान ही स्खलित हो जाता है या फिर यौन प्रवेश करते ही वीर्यपात हो जाता है। इस स्थिति में पत्नी या महिला साथी की प्यास अधूरी रह जाती है। वह मन ही मन प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से पुरूष को कोसने लगती है, घृणा करने लगती है। विवाहित जीवन में ऐसा होना एक गंभीर विषय हो सकता है। शीघ्रपतन का समय रहते सही उपचार कराना आवश्यक है।
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इन आयुर्वेदिक उपायों से करें शीघ्रपतन को दूर-

1.लाजवन्ती के बीज आवश्यकतानुसार लेकर पीसकर छान लें। इनके बराबर खाण्ड मिलाकर प्रतिदिन 5 ग्राम दूध के साथ लें। वीर्य को गाढ़ा करने और शीघ्रपतन के रोग को दूर करने के लिए अत्यंत लाभदायक है।
2. शीघ्रपतन में तुरूमरिहां लेकर बराबर वज़न में सफेद शक्कर मिलायें। प्रतिदिन 6 ग्राम एक पाव दूध के साथ खाया करें।
3. धतूरे के बीज तथा काली मिर्च 10-10 ग्राम लेकर पीस-छान लें। फिर शहद की सहायता से काली मिर्च के बराबर गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह एक गोली खाकर ऊपर से सौंफ 6 ग्राम पानी में पीस-छानकर पीयें। शीघ्रपतन एवं धातु रोग में लाभप्रद है।
4. तालमखाना एवं कौंच के बीज को गिरी बराबर वज़न में लेकर कूट-छान लें। 3 ग्राम गर्म दूध के साथ लगातार कुछ मास तक सेवन करने से अपूर्व शक्ति उत्पन्न होती है। शीघ्रपतन की शिकायत नहीं होती।
5. संभोगकाल में वीर्य स्खलित होने की आशंका होने से पलभर पूर्व ही यदि पुरूष अपनी गुदा को ज्यादा से ज्यादा कसकर भींच ले, तो जब तक वह गुदा की मांसपेशियों को तनाव से मुक्त नहीं करेगा, वीर्य नहीं निकलेगा।
6. असली वंशलोचन एवं सत गिलोय समभाग लें। वंशलोचन को पीसकर दोनों को मिला लें। प्रतिदिन 2 ग्राम औषधि मधु के साथ सेवन करने से एक सप्ताह में वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
7. हरमल भुना हुआ 2 ग्राम, खाली खशखाश डोडा 6 ग्राम। सुरमे की भांति पीस लें। 250 मि. ग्राम से एक ग्राम तक यह चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ खायें। शीघ्रपतन के लिए अनुभूत है।
8. जंगली बेर की गुठलियों की गिरी को पीसकर उसमें उससे आधी खांड मिलाकर सुरक्षित रख लें। 12 ग्राम शाम को गाय के दूध के साथ रोगी को दें। शीघ्रपतन के लिए अति उत्तम योग है।
9. सफेद मूसली, काली मूसली प्रत्येक 12 ग्राम, सालब मिश्री 30 ग्राम, बंग भस्म 6 ग्राम, अनार के फूल 12 ग्राम, पोटासियम ब्रोमाइड 30 ग्राम, बीजबन्द 6 ग्राम, सुपारी के फूल 12 ग्राम, धाय के फूल 12 ग्राम, ईसबगोल का छिलका 12 ग्राम, भुनी हुई बबूल की गोन्द 6 ग्राम, गिलोय 12 ग्राम, तालमखाना के बीज 12 ग्राम, खांड 120 ग्राम, पीपल की लाख 12 ग्राम, तज कलमी 6 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी 12 ग्राम। सबको अलग-अलग पीसकर आपस में भली-भांति मिला लें। 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम गौ के दूध के साथ खायें। शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, वीर्य प्रमेह व स्वप्नदोष के लिए अमृत के समान है।
10. अकरकरह 10 ग्राम, सफेद मूसली 10 ग्राम, इन्द्र जौ 10 ग्राम, कपूर 5 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, राल 10 ग्राम, शक्कर 100 ग्राम, काली पहाड़ की जड़ 10 ग्राम, जावित्री 10 ग्राम, अफीम 5 ग्राम, सेमर की जड़ 10 ग्राम, शुद्ध हींगुल 3 ग्राम, बबूल की फली 10 ग्राम, केसर 5 ग्राम, समुदक्षार 10 ग्राम, कस्तूरी 3 ग्राम। इन सबको घोट-पीसकर शहद की सहायता से आधे ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह-शाम मिश्री मिश्रित दूध के साथ 7 दिन तक इसका प्रयोग करने से शीघ्रपतन का रोग दूर हो जाता है।
11. अफीम 2 ग्राम, शीतल चीनी 4 ग्राम, हल्दी 10 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, काफूर 2 ग्राम। चूर्ण बना लें। रात्रि को सोते समय 2 ग्राम जल से सात दिन तक प्रयोग करने से शीघ्रपतन की समस्या समाप्त हो जाती है।
12. कौंच के बीज 3 ग्राम, तालमखाना 3 ग्राम गाय के ताजा दूध में खांड मिलाकर सेवन करने से शीघ्रपतन का रोग दूर हो जाता है।
13. हरे करेले के रस में हरमल 50 ग्राम को तर व खुश्क करें। फिर चूर्ण बनाकर रख लें। 1 ग्राम प्रतिदिन प्रयोग करने से शीघ्रपतन की समस्या नष्ट हो जाती है।
14. दालचीनी 3 ग्राम पीसकर रात्रि के दूध के साथ एक सप्ताह के सेवन से ही शीघ्रपतन नहीं रहेगा।
15. इमली के बीजों की गिरी कूट-पीसकर रख लें। 3-3 ग्राम की मात्रा में इसे फांक कर ऊपर से गर्म दूध पी लिया करें। शीघ्रपतन दूर होगा।
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